फटी जेब
फटी जेब




फटी जेब है उसकी
बेरोज़गारी, गरीबी,भुखमरी,
से त्रस्त बेबस रूप
एक बेरोजगार की क्या औकात
उसे खरीद लो
दुत्कार दो
उसका मान क्या ? मोल क्या ?
स्वाभिमान क्या ?
अस्तित्व क्या ?
क्योंकि
फटी जेब घूम रहा बेरोजगार
शिक्षित हम्माली करवा लो
पत्रकार न्यूज़ लिखवा लो
कवि कविता लिखवा लो
गीतकार गीत लिखवा लो
गायक मंच पे गंवा लो
पर मुफ्त में
क्योंकि बेरोजगार हैं
असुंदर कमीज का सुंदर बटन
प्रतिभावान है पर मूर्ख है वो
मुस्कराहट नहीं चेहरे पे
तो धूर्त,मक्कार,मगरूर है वो
उसका करता व्यक्तित्व ?
कच्चे, किराये के मकान की तरह
वह एक समस्या है ?
घर-देश की
ढह गया तो एक खंडहर था
उसका
हंसना, बोलना, संवरना, बेड़नी सा उसके
राय, सुझाव, प्रस्ताव, मजाक है
वह स्वस्थ पर विकलांग की तरह
घर, समाज , में
कुलियों सा जीवन है
क्योंकि फटी जेब लिए वो बेरोज़गार
उसका
उपयोग रिफ्यूजी टिकिट,
सस्ती घटिया अगूंठी का
कीमती नग
क्योंकि वो रईस है
पर बेरोजगार
गरीब है तो टाट का पैबंद
वो घृणित है।
क्योंकि घूम रहा है ,फटी जेब लिए
सच तो है
नाहि वो भाईदूज का टीका
नाहि वो बीबी का मंगलसूत्र
वह एक बोझ
दया का पात्र
क्रोध का शिकार
बस एक खिलौना
बन कर रह रहा है जीवन में
क्योंकि
वह डरा सा है
अब समाज, परिवार, रिश्तेंदारों के बीच
एक सेफ्टीटैंक है
क्या वाकई वो लाइलाज़ है ?
या एक बीती तारीख है?
मित्रों में काल गर्ल है ?
क्योंकि जेब फटी है उसकी।