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Rati Choubey

Tragedy Inspirational

3  

Rati Choubey

Tragedy Inspirational

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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रक्षा बंधन आ रहा झूमते

‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌बहनों का प्यारा सा त्यौहार

गंगाजल सा पावन रिश्ता 

ये हैं सबसे अटूटतम रिश्ता 


उपवन सा अनुपम यह रिश्ता 

खिलता है सदा पुष्प सा रिश्ता 

यह भाई बहन का न्यारा रिश्ता 


युग से युग बदलते गए 

बदलती गई भावनाएं आपसी

आया इन प्रगाढ़ रिश्तों में 'छल'।

 

 आज यह कैसा 'दौर'चला 

 बट गए 'दायरों' में रिश्तें 

 "मौली" के धागे बस यह गए "धागे" 


जहां प्रेमसागर लेता था "हिलौरें"

जहां पनपती थी भोली मुस्कानें 

अब बस केवल 'आडम्बर' है 


चीख रहे हैं "निस्वार्थी रिश्तें"

दिलों में छाई है "वीरानियां"

'बिछौह' आपसी हो बन गए "पत्थर"

 

एक भावमय भोला "खिंचाव" था 

अब हैं एक दूजे से दोनों दूर 

कौन करें "मनुहार" पहल कर 


भूल गए घर का "पथ" दोनों 

माधर्य खोज रहे हैं "रिश्तें"

राह निहारे घर के "दरवाज़ें"


उलझ के यह गए रिश्तें प्यारे 

‌"बंटवारों" का‌ हो रहा "ताण्डव" 

प्रेमांकुर फूटे भी तो कैसे??


मुंहबोली बहना भी होती थी "जान" 

"बहना" थी कभी घर का "गहना" 

आज यह गई है बस वो "बहाना"


सो गई हैं वो मधुर भावनाएं 

"अपनापन" भी कहीं है को गया 

"प्रतिस्पर्धा" अब रिश्तों में आई 


रक्षाबंधन है आज "रिवाज"

अस्तित्वहीन अब यह गई "बहना"

खो गए अब मधुरता के ही रिश्तें


विवशता से ही निभते रिश्ते 

'मूक' प्रेम होता था जो पहले 

वहीं आज हैं दोनों "भ्रमित"


"मौली" के धागे ही थे "बंधन"

चांदी सोने के घाटों में खो गए "रिश्तें"

धनाभाव से हो रहे बस "क्रंदन" 


बिन "बहना" सूनी थी "देहरी" 

अब हो गई है वो देहरी "बहरी"

यही हकीकत "कटु सत्य" अब


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