मानों या ना मानों
मानों या ना मानों
वो अनकहा,अनदेखा,
वो अनसुना पर सच,
चाहे कोई माने या
ना माने पर
हो जाता है विश्वास,
जिसके साथ घटित हो
हो जाते मजबूर तब
ना चाहते भी करते यकीन ।
देश हुआ विक्षिप्त या दिशाहीन शासन ?
हज़ारों प्रश्न या
संस्कार विहीन समाज ?
पशुता जाग रही या --
मानवता मृत हुई ?
प्रश्नचिन्ह ---?
भारत तो वही है, लोग भी वही हैं ,
रिश्ते भी वही हैं
चरित्रहीन लोग हुए,
मूक हो गई जनवाणी
बहशीपन संस्कार हुए ,
बलात्कार रिवाज़ हुए
आज भीबरसाने का पिता
नांदगांव का पीता नहीं पानी
क्योंकि राधा बिटिया उसकी थी।
बेटियां वहीं हैं।
नज़रें कामुक हो गईं ,
आज के पिताओं की,
नरभक्षियों की हो गई शिकार
अब बेटियां ,मतिमंद बच्चियां ,जवान, प्रौढ़ा, वृद्धा भी
विकलांग, भिखारिन, सुअरियां कुंजियां भी
हुई शिकार दरिंदों का ,
बेकाबू जनता ,क्या निकलेगा नतीजा ?
नरभक्षी बलात्कारी जिंदा हैं,
बाबा राम रहीम ,बापू आसाराम
महामंडलेश्वर ज्योति गिरी ,
रामपाल और निर्मेल बाबा,
बाबाओं के भेष में ,घूमे आदमखोर,
आश्रमों , अनाथालय को बना ऐशगाह
देख ,सुन हम खामोश, चुप है सरकार।
सरकार पर पड़ा है शासन भारी
जब तक ऊंचे भवनों में ये छुपकर
बैठे रहेंगे सफेदपोश में नागराज,
घूसखोरी , तन का ये व्यापार रहे गर्म
होता रहेगा गोरखधंधा ,हम मजबूर।
ऐसी प्रलय आवे
समेट ले अपनी चपेट में ,इन दरिंदों को
हवस का कैसा हाहाकार- हम सोच रहे ?
मानवता जब तक यूं होगी मजबूर
दानवता यूं ही करती रहेगी अट्टाहास।
मानो या ना मानो
अनकहे, अनदेखे,अनसुने
पर कर विश्वास,
जनता को होगा जागना
राम,कृष्ण ,गौतम की इस धरा पे,
सत्य की विजय ,चरित्र की बंसी बजेगी,
होगा सत्यमेव जयते का घोष।