बिन फेरे हम तेरे
बिन फेरे हम तेरे
प्रिय तेरे कहने पे
कर तो दूं अपने को तुझे समर्पित
हो जाऊं मैं सदा सदा को तेरी
जग में रहूं मैं निदिंत छोड़ूं रिश्ते
बिन फेरे हो जाऊं तेरी निभा लोगे
जब जीवन सत्य जानोगे
बंधन क्या होता है
बंधन में स्थिरता है भारी
बंधन में केवल प्यार नहीं है
बंधन में कर्तव्य भी है भारी
तो निभा पावोगे फिर मुझको
अधिकार चाहूंगी यदि तुम पर
दे। पावोगे तुम पति सा अधिकार
सम्मान चाहूंगी दे पावोगे
मेरा प्यार कहीं दफन ना हो
आतुरता से रहूं ढूंढती मैं तुमको
विश्वास डोर ना टूटे कभी हमारी
और तू हो जाए विलीन कहीं
प्रेम। सरिता जो उमड़ रही
हो ना जाए। ये कहीं विलुप्त
सुखद छुवन सी। तेरी यादें
फंसे भंवर में ,मैं रहूं ढूंढती
कहीं ऐसा। ना हो एक दिन
स्वर हमारे जाए यूं थम
धड़कने भी हो जाए दोगली
आरोप प्रत्यारोपण का रहे जोर
लगे हमारे प्यार। में ही दीमक
मेरा डर मुझे कर दे घायल
आत्महत्या को हो जाऊं बेबस
संतान। हमारी रहे असुरक्षित
मैं टूंटू तो ऐसी जुड़ ना पाऊं
दूरियां इतनी बड़े इतनी बड़े
हम तुम हो जावे बस तन्हा
नेह वीणा के टूटे ही तार
तुम तुम ना रहो
मैं मैं ना रहूं
क्योंकि
पति पत्नि का रिश्ता अटूट
विवाह नहीं वो पावन तीर्थ
ना ना नहीं लांघ सकती मैं चौखट
मैं घर की संस्कृतियों की दीवारें
और नहीं बन सकती
बिन फेरे मैं तेरी।