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Rati Choubey

Romance

1.0  

Rati Choubey

Romance

बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

1 min
354


प्रिय तेरे कहने पे

कर तो दूं अपने को तुझे समर्पित

हो जाऊं मैं सदा सदा को तेरी

जग में रहूं ‌ मैं निदिंत छोड़ूं रिश्ते

बिन फेरे हो जाऊं तेरी निभा लोगे

जब जीवन सत्य जानोगे

बंधन क्या होता है

बंधन में स्थिरता है भारी

बंधन में केवल प्यार नहीं है

बंधन में कर्तव्य भी है भारी


तो निभा पावोगे फिर मुझको

अधिकार चाहूंगी यदि तुम पर

दे। पावोगे तुम पति सा अधिकार

सम्मान चाहूंगी दे पावोगे‌


मेरा प्यार कहीं दफन ना हो

आतुरता से रहूं ढूंढती मैं तुमको

विश्वास डोर ना टूटे कभी हमारी

और तू हो जाए विलीन कहीं


प्रेम। सरिता जो उमड़ रही

हो ना जाए। ये कहीं विलुप्त

सुखद छुवन सी। तेरी यादें

फंसे भंवर में ,मैं रहूं ढूंढती


कहीं ऐसा। ना हो एक दिन

स्वर हमारे ‌ जाए यूं थम

धड़कने भी हो जाए दोगली

आरोप प्रत्यारोपण का रहे जोर

लगे हमारे प्यार। में ही दीमक


मेरा डर मुझे कर दे घायल

आत्महत्या को हो जाऊं बेबस

संतान। हमारी रहे असुरक्षित

मैं टूंटू तो ऐसी जुड़ ना पाऊं


दूरियां इतनी बड़े इतनी बड़े

हम तुम हो जावे बस तन्हा

नेह वीणा के टूटे ही तार

तुम तुम ना रहो

मैं मैं ना रहूं

क्योंकि


पति पत्नि का रिश्ता अटूट

विवाह नहीं वो पावन तीर्थ

ना ना नहीं लांघ सकती मैं चौखट

मैं घर की संस्कृतियों की दीवारें

और ‌‌नहीं बन सकती

बिन फेरे मैं तेरी।


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