नवरात्रि -आध्यात्मिक शक्ति
नवरात्रि -आध्यात्मिक शक्ति
अलग-अलग त्यौहार अधिकतर, साल में हैं आते एक बार,
शक्ति उपासना के इस त्यौहार, अवसर वर्ष में आते हैं दो बार।
दो अतिरिक्त संयोग मान भक्त कुछ, मनाते हैं इनको चार बार,
शरद और बसंत ऋतु संक्रमण काल में, सभी मनाते ये त्यौहार।
खान-पान ऋतु संग बदलता, व्रत रख करते परिवर्तन को तैयार,
नवरात्रि के ये पर्व हमारी, आध्यात्मिक शक्ति -ऊर्जा के आधार।
विविधताओं से परिपूर्ण ये देश, आर्यों का प्यारा संसार,
ऋतुओं और क्षेत्र समेत मिले, कई हैं प्रकृति से उपहार।
सदा उमंगों से रखते भरा हमारे, जीवन को बहु त्यौहार,
अक्षय खुशियां सबको ही मिलें, सुनिश्चित करते ये संस्कार।
स्वस्थ सुखमय सब जगत रहे, सकल जग है अपना परिवार,
परम्पराओं में शुभता है निहित, संशोधन भी समय के अनुसार।
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रिवाज-रीति खान-पान, वेश-भूषा और संस्कार
होते हैं देश -काल और, परिस्थिति के अनुसार।
सतत् अवलोकन, गहन, चिंतन-मंथन और विचार
संस्कृति बन जाते हैं ये तर्क, कहे जाते हैं ये त्यौहार।
तपस्या है दीर्घावधि की ये, वैज्ञानिक होता है इनका आधार,
तर्क आम जन से होता परे, कहे जाते धार्मिक ये विचार।
संस्कृति के अंश हैं परम्पराएं, होती देश काल के अनुसार,
दीर्घकालीन अवलोकन और, विश्लेषण से होती हैं ये तैयार।
भिन्न संस्कृति परंपराओं के, अनुगामियों के होंगे भिन्न विचार,
निज संस्कृति को करें हम बेहतर, ले अन्य संस्कृति के विचार।
उत्कृष्ट भावों को सब सदा सराहें, जो होते हैं उन्नति के आधार,
उत्तम आपकी परम्पराएं पर न थोपें, दूसरों पर अपने विचार।