माँ तू परी है क्या..?
माँ तू परी है क्या..?
माँ..!
तू कोई परी है क्या..?
तेरे पास होने से सब सुख आता है
माँ ..!
कहाँ छुपा रखा है वो जादुई छड़ी
जिसके घुमाते ही घर धन धान्य से भर जाता है..?
माँ..!
तेरे पास अलादीन का चिराग़ है क्या..
जिसे रगड़ के तू मेरे सारे ख़्वाब पूरे करती है..?
उफ्फ्फ..!
कितने सवाल होते हैं इक माँ के होने से
और इक दिन..
माँ के पास सब था
वो परी थी
फूलों की जादुई छड़ी उसके दो हाथ थें
अलादीन का चिराग उसके पल्लू में बँधा होता था
जिसके गाँठ खुलते ही सब आ जाता था,..!
पर अब तो...!