Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Amit Srivastava

Abstract Inspirational

4  

Amit Srivastava

Abstract Inspirational

एक ख्वाब ...

एक ख्वाब ...

1 min
180



एक ख्वाब ज़मीं पे पलता है

एक ख्वाब कहीं असमानो में 

एक रात कहीं तकिये पे बसर 

एक रात गुजरती सड़कों पे


दो दो चेहरे दिखते हैं

वक़्त के एक आईने में 

कुछ ऊँची किसी ईमारत में 

कुछ मिट्टी के घरौदों में .....


इस बार जो आना ज़िन्दगी 

एक जैसे ही दो चेहरे लाना

फूलों की महक एक जैसी जो 

हवाओं के रंग कुछ ऐसे लाना


हर घर से चाँद दिखता हो 

हर घर में ऐसा रोशंदा रखना 

इस बार जो आना ज़िन्दगी

एक जैसे ही दो चेहरे लाना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract