एक ख्वाब ...
एक ख्वाब ...
एक ख्वाब ज़मीं पे पलता है
एक ख्वाब कहीं असमानो में
एक रात कहीं तकिये पे बसर
एक रात गुजरती सड़कों पे
दो दो चेहरे दिखते हैं
वक़्त के एक आईने में
कुछ ऊँची किसी ईमारत में
कुछ मिट्टी के घरौदों में .....
इस बार जो आना ज़िन्दगी
एक जैसे ही दो चेहरे लाना
फूलों की महक एक जैसी जो
हवाओं के रंग कुछ ऐसे लाना
हर घर से चाँद दिखता हो
हर घर में ऐसा रोशंदा रखना
इस बार जो आना ज़िन्दगी
एक जैसे ही दो चेहरे लाना।