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कुमार अशोक

Abstract Classics Inspirational

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कुमार अशोक

Abstract Classics Inspirational

रावण का मरना बाकी है

रावण का मरना बाकी है

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नकली रावण को धू-धू करके जलाया जा रहा था,

जनसमुदाय हर्षित हो खूब तालियाँ बजा रहा था,


एक नवयुवती को ललचायी नजरों से देखता हुआ,

असली रावण भीड़ में खड़ा होकर मुस्कुरा रहा था।


खद्दर हो गया मतलबी संवेदनहीन हो चली खाकी है,

निर्दोष मारे जाते हैं, कुकर्मी को मिल रही माफी है,


यह रावण की मौत नहीं यह केवल थोथी झाँकी है,

अरे ! असली रावण का तो अब भी मरना बाकी है।

अब भी मरना बाकी है।


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