कुछ गुनाह किए नहीं जाते
कुछ गुनाह किए नहीं जाते


ख्वाब लिखे जो रेत पर,
लहरों में खो जाते हैं,
कुछ गुनाह किए नहीं जाते,
हो जाते हैं ।
सपना ढ़लते सूरज का भी,
सदा वो रहता आग,
चाँद ने हीं कब सोचा होगा,
लग जाएगी दाग ,
तेल लबालब भरे दीये की,
बाती भी चुक जाती है,
दौड़ती गाड़ी पटरी पर,
कहीं घंटों रुक जाती है,
आसान पर्चों के जवाब भी,
गलत कभी हो जाते है,
कुछ गुनाह किए नहीं जाते,
हो जाते हैं ।
शीतल समीर क्या जाने,
है उसका नाम हीं आँधी,
बरसे मेघ तो जीवन है,
फट जाए तो बर्वादी,
हर टूटन नहीं बुरी होती,
देखो टूटते तारे को,
तैराक बहुतेरे डूब गए,
अनाड़ी लगे किनारे को ,
नेह भरी इक बूँद को,
मरू भर जनम तरसता है,
मेह उफनते सागर में,
ना जाने क्यूँ बरसता है,
अपनेपन के मारे कुछ,
परायों में खो जाते हैं,
कुछ गुनाह किए नहीं जाते,
हो जाते हैं ।