हाइकु
हाइकु
रात अँधेरी
घनघोर निराशा
तारों-सी आशा
झींगुर गीत
हवा सनन सन
बजा संगीत
जुगनू दीप
चम चमक चम
हारा है तम
जागा सूरज
लेकर अँगड़ाई
भोर हो आई
है झाँके छुप
पात छनके धूप
क्या नज़र है
घन घना-सा
तुम कहाँ हो स्वाति ?
चातक प्यासा
सूरज, चंदा
मिलन पर लागा
ग्रहण फंदा
बदरी की रू
दिखती वो, जो देखो
अँखियाँ सेंको
यौवन गर्मी
पिघल गए सब
अधर्मी, धर्मी
रूप दरीचा
ता पे प्रेम कंदील
हाय रे दिल !