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Jyoti Astunkar

Abstract Classics

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Jyoti Astunkar

Abstract Classics

सांसों की कीमत

सांसों की कीमत

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सांसों की कीमत है क्या?

क्या कभी जान सका है कोई ?


जीते हुए उन पलों का मोल

क्या कभी माप सका है कोई


एक - एक दिन गुज़र जाता है यूं ही

उस गुजरते पल का क्या हिसाब रखता है कोई


हंसते - खेलते, रोते - गाते

रोज़ के दिन - रात, बस आते - जाते


गुजरते हुए उस पहर का क्या

हिसाब रखता है कोई


सांसों की कीमत तो तब होती है

जब वो ज़िंदा होने का एहसास दिलाती है


कुछ कर सके ना सके बस

अपनों के पास होने का एहसास दिलाती है


उन खुली आंखों में, और उस धक - धक में

हमारे और अपनों के, होने का एहसास है


पल भर में आने और जाने वाली सांस

कीमत है एक दिल के धड़कने की


पल भर को रोक कर जो देखें

समय बस वहीं रुक जाए


एक स्थिति वो ध्यान की है

जो मन को बस प्रसन्न कर जाए


और एक स्थिति उस शांत बिंदु की है

जो शरीर से उस आत्मा को ले जाए


सांसों की कीमत क्या है

क्या कभी जान सका है कोई


जीते हुए उन पलों का मोल

क्या कभी माप सका है कोई।


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