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Yog Raj Sharma

Romance Classics Inspirational

4.5  

Yog Raj Sharma

Romance Classics Inspirational

आस ऐ कलम

आस ऐ कलम

1 min
213


आस ऐ कलम

आज तो हद कर दी प्यार की

लेकर रोशनी चिराग की

लगी आग वैराग सी

देखता रहता तो शाम होती

न देखूँ तो बदनाम होती


जला दी फिर शमा दिल में

सोचकर घुसना न पड़े बिल में

पाठ पढ़ती रही समरहिल में

यहाँ काम करोड़ों पड़े मील में



बैठकर सम्मुख उसके

देख न पाता

दूर से जान लिया

मुस्कान देख न रुका

याद मुकम्बल प्यार आया

सिर झुकाकर न राजयोग आया


साथ सहेली रही पहेली

करें इज़हार गर मिले अकेली

साथी बताया खुद-खुदा ने

छोड़ बड़ी बड़ी हवेली

आज तो हद कर दी प्यार की

लेकर रोशनी चिराग की।


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