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Yog Raj Sharma

Abstract

4.0  

Yog Raj Sharma

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मुझे मान न दे

मुझे मान न दे

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तू मुझे मान न दे इवादते सम्मान

सम्भाल लूं राज कलम कमान

कह दे नजर समक्ष

मरता जीता नही भाता

जिंदा निंदा समान


संसार ऐ सम्मान सम्भाल कमान

सहन नही बेईमान

झूठ गलफड़े गालने का घोल

नही नारी बाद मोल


मुस्कान मेरी तेरी

तेरी खुशी मेरी

मंशा गर मंजूर नही

तू मुझे मान न दे

नही चाहिए तेरा इवादते सम्मान

सम्भाल लूं राज कलम कमान


माना तेरा कहा लिखावटी

गर हो विश्वास

ठुकरा दूं भेष बनावटी

न भये सजा- सजावटी


कही सुनी न चला जाये

पथ बने स्वयं राज

तेरी वहार में लीन मैं

तू रह मलीन मुझ में


गर है झूठी जुबां तू

मुझे मान न दे-इवादते सम्मान


सम्भाल प्रेम काल ऐ कमान

मरता जीता नही भाता

जिंदा निंदा समान

जो करें अपमान ऐ नारी

बन जाये विक्राल

संसार ऐ सम्मान- सम्भाल कमान

सहन नहीं बेईमान।


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