सवाल न कर
सवाल न कर
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बस कोई राह पर मशवरा ले गयी जिन्दगी
बड़े - बूढ़े बोले बुजुर्ग, बवाल न कर
मनाता कैसे कलम स्याही को
लिखते नहीं रुकती जिन्दगी
जीत गए खुद के दिल दिल्लाहि
शब्द से रस बने शब्द वर्ण मिलाई
मन में ठान क्या ठने
जिज्ञासा बढ़ते जा रही।
मिलन से लगे अपने वही
नाही मिले दर पर राही
नजर खुदा ने मिलाई ऐसे
टूट नहीं रही, हटाये कैसे
अपने आप की बीती सुनाता
दिन रात मशवरा वही भाता
देख नग्न आँखों से, कहता हूँ
राज ऐ नकाशी उतारता
कहे जिन्दगी सवाल न कर