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Yog Raj Sharma

Tragedy Classics Inspirational

4.5  

Yog Raj Sharma

Tragedy Classics Inspirational

राज ऐ गली कीचड़ भरी

राज ऐ गली कीचड़ भरी

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राज ऐ गली कीचड़ भरी

यहाँ देख गली -गली कीचड़ भरी उछल पड़ी है

मैं गर रखूं पाव जोर से, सब नुकसान हमारा है।

रेशम के धागे लगा रखे है

मान रखने को

यहां देख गली -गली कीचड़ भरी उछल पड़ी है।


सहमे -सहमे चल रहा हूँ

कदम रखूं गलत गर कोई,धब्बे लग जाते है।

खुद की आहट सुन रहा हूँ

यहाँ देख गली- गली कीचड़ भरी उछल रही है।


गर कर थोड़ी भी जल्दवाजी

कदम अपने उठाने में

आतिशबाजी हो जाती है।

सदमा ऐसा पास न आये

गोला बारूद फट न जाये

राही हूँ, जान ऐ जोखिम लड़

यहाँ देख गली -गली कीचड़ भरी उछल पड़ी है।


कहे राजयोग गोली बारूद का यहाँ काम नही

तीर बात रूपी बाण से निकल रहे है।

यह वारिश उनके यहाँ न हो

मिलने को जिनसे तरस गए है

उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम वरस रहे है।


मंजिल दूर नहीं है

ठान लिया है।

कदम न आगे जाऊं

यहाँ देख गली- गली कीचड़ भरी उछल पड़ी है।


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