STORYMIRROR

Suresh Koundal 'Shreyas'

Abstract Classics

4  

Suresh Koundal 'Shreyas'

Abstract Classics

खुशनसीब चाँद

खुशनसीब चाँद

1 min
232

ऐ खुशनसीब चाँद तेरे दीदार का ,कई "चाँद" इंतज़ार करेंगे

वो अपने चाँद के दीदार से पहले ,तेरा दीदार करेंगे।

दिन भर भूखे प्यासे रह कर वो तेरी राह देखेंगें

होगी कब इनायत तेरी ,वो दिल में ये चाह रखेंगे।


मेहंदी हाथों में सज  कर, बिंदिया ललाट पर चमकेगी ,

लाली गालों पर लग कर,  मांग सिंदूर से दमकेंगीं ।

सज धज घर की छत पर वो , दुल्हन बनकर आएंगीं,

यकीं है मुझे ये धड़कनें तेरी ,उस वक्त.. थम सी जायेंगीं।


देख उन नूरानी चेहरों को, तुम मगरूर मत होना,

निगाहें पाक रखना तुम ,नशे में चूर मत होना। 

दिया ...छलनी में रख करके, नज़ाकत से तुझको देखेंगीं ,

शर्म से लाल हो कर के, ज़रा सा मुस्कुरा वो देंगीं ।


तेरे रुखसार के बाद वो, दीदार अपने साजन का करेंगी,

उनके हाथों  घूंट पानी का, वो अपने मुँह में भरेंगी।

उस वक्त उन प्यारी निगाहों को, ज़रा सा तुम पढ़ लेना,

क्या है कामना उन आखों की, ज़रा सा तुम समझ लेना।


तुम्हें ताकना इक इबादत है, इनायत-ए -मेहर कर देना,

 हो उम्र लम्बी उनके सुहाग की , बस उनको ये वर देना। 

सदा यूँ महकती रहें हर दम, ये दामन रंगीन कर देना

मुकम्मल कर इबादत उनकी, झोली खुशियों से भर देना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract