STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Classics

3  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Classics

गाँव हमारा प्यारा है

गाँव हमारा प्यारा है

1 min
378

जी बहुत भर गया है शहरों से

जी बहुत भर गया है शहरों से

अब तो अपने गांवों की याद आने लगी !


कोई अपना ना मेरा बन सका

कोई अपना ना मेरा बन सका

हमें तो अपनी मित्रता की याद आने लगी !


घर में तो हम ऐसे ही कैद हुए

घर में तो हम ऐसे ही कैद हुए

दीवारें अपनी आँखें फाड़ कर हंसने लगी !


किस -किस से हम बातें करेंगे

किस -किस से हम बातें करेंगे

भाषाएँ उनकी हमको रोज भरमाने लगीं !


बच्चे, बहू से घर सुना पड़ा था

बच्चे, बहू से घर सुना पड़ा था

कभी एक साथ देखने की चाहत होने लगी !


याद आने लगी हमारे गांवों की

याद आने लगी हमारे गांवों की

लगता हैअपनी मिटटी गांवों की बुलाने लगी !


खेत खलिहान की वाहें मुझको

खेत खलिहान की वाहें मुझको

स्वप्नों में भी अपने आगोश में हमें लेने लगीं !


हमें तो रोटी सागअच्छे लगते हैं

हमें तो रोटी सागअच्छे लगते हैं

प्यार की ही बातों से प्यास सारी बुझने लगी !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics