मैं भारत हूं - 2
मैं भारत हूं - 2
हां, मैं भारत हूं
वही भारत जिसके उत्तर में
महान हिमालय खड़ा हुआ,
मेरे दुश्मन को जो रोके
शीतलहर पर तना हुआ।
हां मैं वही भारत हूं
जिसके दक्षिण में
विशाल सागर सजा हुआ,
मुझ पर जो बरसात लुटाए
और अनमोल खजाना दबा हुआ।
हां मैं वही भारत हूं
जिसके पूरब में
सात बहिने रहती हैं,
जो संस्कार और संस्कृति से
मेरे मन में बसती हैं।
हां मैं वही भारत हूं
जिसके पश्चिम में
थार मरुस्थल बसता है,
अपनी अलौकिक माटी से वो
वीरों के लहू में बहता है।