प्रकृति की लीला
प्रकृति की लीला
प्रकृति की अद्भुत लीला
ना कोई यहां पर समझ सका,
उसने जो किया, उसमे ही भला,
इसको बदलकर ना कोई बच सका।
इसने पेड़ दिए, शत गुण वाले,
जीवन को बड़ा आसान किया,
जब पेड़ काटे इंसानों ने,
खुद का ही नुकसान किया।
इसने पहाड़ दिए, उपयोगी बहुत,
जीवन को नव वरदान दिया,
मानव ने इनको क्षत विक्षत किया
भूकंप, सुनामी को बुला लिया।
सूरज की किरणों ने सबको
समभाव से ऊर्जा संचार किया
मानव ने बना ऊंची इमारतें
खुद को कमरे में बंद किया।
इसकी नदियों का पानी भी
जीवन संजीवनी लाता है,
मानव कूड़ा कचरा डालकर
अमृत को गरल बनाता है।
