बेबाक बात
बेबाक बात
क्यों न बात करें, चलो बेबाक करें
कुछ पल हैं बचे, इन्हें भी राख करें।
न रह जाये कोई हसरत दिल में बाक़ी
कुछ ऐसा मैं और तुम मिल कर साथ करें।
बारिश कि तरह बरस जायें कभी
तो कभी हवा बन यूं ही बह जाया करें।
न कोई रोके-टोके, न हो सरहद कोई
बस यूं ही आजाद मैं और तुम रहा करें
आज मिला है वक्त खुल के कहना का।
क्यों न बात करें, चलो बेबाक करें
कुछ पल हैं बचे, इन्हें भी राख करें।