गीत का शीर्षक - आजादी का महापर्व।
गीत का शीर्षक - आजादी का महापर्व।
भारतवर्ष की आजादी पर अमर शहीदों को नमन,
स्वतंत्रता दिवस है आज देशभक्तों से महका चमन।
कुर्बानी दी किसी ने तो आज खुशहाल जिंदगी है,
क्रांतिकारियों के बलिदान को भावभीनी बंदगी है।
गुलामी की जंजीरों को राष्ट्र प्रेम के साहस ने तोड़ दिया,
वतन की पहरेदारी के लिए टूटे दिलों को जोड़ लिया।
जब पराधीनता स्वीकार नहीं महावीरों ने कसम खायी,
जुर्म के खिलाफ आवाज़ उठा दुश्मन की शामत लायी।
प्राणों को न्यौछावर कर देश को स्वाधीनता दिलायी,
कैसे कर्ज चुकाएं जिसने मातृभूमि के लिए जान गंवायी।
इतिहास लिखा था वीरों ने जब जान हथेली पर रख ली,
हिंदुस्तान की शान के खातिर मेहनत की रोटी चख ली।
सन अठारह सौ सत्तावन में आजादी का बिगुल बजाया,
छोड़ निडरता जोश में आये फिरांगियों को ललकारा।
नब्बे वर्ष संग्राम चला फिर मुल्क में ध्वज तिरंगा लहराया,
पंद्रह अगस्त को आज़ाद हुए लाल किला पर झंडा फहराया।
