धरती भी है आग उगलती पंखों की भी कुछ नहीं चलती। धरती भी है आग उगलती पंखों की भी कुछ नहीं चलती।
फुदकती चहकती रहती है एक डाल से दूसरी डाल. फुदकती चहकती रहती है एक डाल से दूसरी डाल.
मोह-माया के मकड़ जाल में जज्बातों को उलझा दिया मोह-माया के मकड़ जाल में जज्बातों को उलझा दिया
परी लोक से आई हो सबके मन को खुश कर देती हो परी लोक से आई हो सबके मन को खुश कर देती हो
याद उसे फिर वो बाबा की बातें आई हो हौसला हर जंग जीत सकती है याद उसे फिर वो बाबा की बातें आई हो हौसला हर जंग जीत सकती है
है ये गर्मी, है ये मुसीबत, कैसे रह लूं मैं बिन तेरे है ये गर्मी, है ये मुसीबत, कैसे रह लूं मैं बिन तेरे