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Padma Motwani

Children

4  

Padma Motwani

Children

गर्मियां

गर्मियां

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सूरज दादा सर पर चमके

हाल हुए बेहाल सबके।

गर्म हवा के थपेड़े लगते,    

कड़ी धूप में सब सुलगते।

 

साल की ऐसी ऋतु आई 

जिसने है मुश्किल बढ़ाई।

धरती भी है आग उगलती      

पंखों की भी कुछ नहीं चलती।          

      

इसकी खूबी एक उभर आई 

जो बच्चों को बहुत ही भाई।

पढ़ाई लिखाई से राहत पाई

छुट्टियां भी हैं खूब मनाई।


नीम बरगद तले झूले झुलाते 

आम रस, तरबूज मन ललचाते।

पहाड़ी चढ़कर हवा में राहत पाते

ठंडक पाने सांझ ढले तैराकी जाते।


गर्मी होगी तभी तो बारिश होगी

गर्मी होगी तब तो फसल पकेगी।

कहीं कहीं यह भी खुशी फैलाती

घूम घूम कर दुनिया की सैर कराती।



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