कितनी दामिनी और ? कितनी दामिनी और ?
पीड़ा के बारे में एक कविता...। पीड़ा के बारे में एक कविता...।
डरता हूँ कहीं गम ना दे जाऐ । तेरे दिये ग़म मे गर साँस भी पूरी हो गई ,..................... डरता हूँ कहीं गम ना दे जाऐ । तेरे दिये ग़म मे गर साँस भी पूरी हो गई ,..............
लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था! लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था!
अब जरूरी कुछ भी लगता नहीं है वक़्त जैसे गुजरे, जाने का डर हैं क्या। अब जरूरी कुछ भी लगता नहीं है वक़्त जैसे गुजरे, जाने का डर हैं क्या।
एक अरसा सा हो गया तुझे देखे पर कोई ऐसा लम्हा नहीं जब तुझे ना याद किया। एक अरसा सा हो गया तुझे देखे पर कोई ऐसा लम्हा नहीं जब तुझे ना याद किया।