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Rajubaldu Rajubaldu

Tragedy

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Rajubaldu Rajubaldu

Tragedy

तुम्हारी वो आखिरी बात

तुम्हारी वो आखिरी बात

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लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था

मौन अदृश्य अक्षरों ने चीरा हवा को था मगर निशान मेरे जिस्म पे थे

जरिया जो बने रूह तलक जाने के

हां, वो तीर मुझे मेरी धड़कन में महसूस हुआ था

नशे का असर मेरे चहरे पर साफ था

समझने की तलब में दिमाग मेरा बेबस था

रहा में खड़ा तेरे सामने

मैं बेबस था

बिखर कर फर्श पर गिर रहा था

अपनी टूटी सहमी सांसों को समेट रहा था

मगर तेरी आखिरी बात को शायद मैं अब भी सुन रहा था!


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