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लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था! लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था!
मैं सहज हूँ, सावन की बरसात सी। मैं दुर्लभ हूँ, कोहिनूर जड़ित सौगात सी।। मैं सहज हूँ, सावन की बरसात सी। मैं दुर्लभ हूँ, कोहिनूर जड़ित सौगात सी।।