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Manu Sweta

Romance

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Manu Sweta

Romance

तुम

तुम

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तुम तुम न रहे

न जाने क्या हो गए

हर बात पर इतराते हो

बात करने से कतराते हो

शायद

कोई बात है

जो मुझसे छुपाते हो

हर रोज़ मेरी गली में आते हो

और

मुझसे बिना मिले

यूँ ही लौट जाते हो

मेरी हर बात पर झल्लाते हो

क्यों

मुझे इतना सताते हो

रोज़ ख्वाबो में आकर

मेरे सूने आँगन को महकाते हो

लेकिन

ये जानती हूँ मैं भी

तुम इतना जो खामोश हो

कुछ तो है जो मुझसे कहना चाहते हो

शायद

कोई चमत्कार हो जाये

और तुम आकर मुझको

अपना बनाते हो।



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