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manisha sinha

Abstract

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manisha sinha

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व्यवहार

व्यवहार

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जब भी मिलता था ,वो सब से

नज़रें उसकी ख़ामोश रहती थी।

और उसके इस अन्दाज़ को सबने

बेपरवाही का नाम दे डाला था।


बनावटी ना उसकी बातें थी

ना दिखावे की अदा ही सीखी थी।

और कुछ कहना चाहा अगर तो

अनदेखा सबने कर डाला था।


पर उसके दरियादिली का आलम

सब देख स्तब्ध रह गए।

औरों के दुःख में डटा रहा वो

बाक़ी बस देखते रह गए।



उसने मुख से कुछ ना कहा ,पर

सबके सलामती की दुआ करता रहा।

दिखावे के चेहरे देखे है बहुत,पर

वो तो गुमनाम होकर भी,

सबके दिल में बसता गया।


ये सच है ,मीठी वाणी ही

मन को हर पल लुभाती है ।

पर सीरत अगर मीठी हो तो

वो तो इतिहास बनाती है।




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