तुम ही हो
तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरा खून जो पी सकता है तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरे सुख चैन को लुटने वाली तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरी नींद उडाने वाली सिर्फ तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरे पर हर पल शक करने वाली तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरे बच्चों पर अत्याचार करने वाली तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरे घर का सुख चैन सब छिनने वाली तुम ही हो
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
हां नहीं आती तारीफ करना यह कहने वाली तुम ही हो।।
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
जानती हो इन सब बातों के बावजूद मेरा प्यार तुम ही हो।।
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
मेरे लिए हंसकर अपना घर परिवार छोड़कर आने वाली तुम ही हो।।
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
बचाती रही जिस इज्जत को,
वह पहली रात में मुझ-पर इज्जत लुटाने वाली तुम ही हो।।
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
जैसी भी हो हमारे घर की देवी तुम ही हो।।
सुनो मेरे जीवन में और नहीं
यह घर तेरा है इस घर की मालकिन तुम ही हो।।