तमाशा
तमाशा
नई कहानी...
पर रीत पुरानी
राजमोह में भटकी रानी।।
याद सजेली
बनी पहेली
मृगछाया की सखी सहेली।।
राजा एक असममित सागर
चेहरे पर चेहरे का डागर
रानी को भाई गहराई
डूब उसमे वो दर्पण लाई।।
उठा बवंडर
आई सुनामी
राजा को न भाई गुलामी
लेहरो में यु दिखा आईना
"अंदर दुबी मेरे मन की मैना"
पगछाया संग पंख पखारे
अफ़सानो से बने फ़साने
हर किस्से के नए बहाने।।
रानी जो ठहराव है लाई
राजा संग उसकी प्रीत मिलाई
कहानी को सार बनाकर
कथाकार की तस्वीर सजाई।।
प्यार समर्पण धागा मोती
सच्ची राह सही चाह पखौती।।