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sandhya kashyap

Abstract Inspirational

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sandhya kashyap

Abstract Inspirational

प्रतिदर्पण

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महिषासुर के पापों ने जब हाहाकार मचायी 

हाथ जोड़ तीनों लोकों ने बस एक गुहार लगायी 

शेर पर सवार देवी चली करने अगुवाई

विनाश कर उस पाखंडी का बली भैंसे की चढ़ायी 


अघ्याती का घात करे वो 

धर्म पथ दर्शाये 

विनाश कर उस दुरगम का 

वो खुद दुर्गा कहलाये 


पत्नी भी वो माता भी है 

समस्त ब्रह्माण्ड की दाता

महाकाली वो गौरी भी वो 

है जगदम्बा माता


हर नारी के दर्पण में 

निहित है आठ भुजाएँ

अन्धकार का काल मिटा दे 

जब अपनी पे आये 


इसी पक्ष का आधार बन

संपूर्ण जगत के अंतर्मन 

शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को

है धरती पे आयी 

अज्ञानता का नाश कर

वो आदिशक्ति कहलायी


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