STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"होली"

"होली"

1 min
252

बुराइयों की मिटाये, सब भीतर टोली

सबको ही मुबारक हो त्योहार होली


ईर्ष्या, द्वेष की सब लोग छोड़ दे, बोली

भाईचारे की सब सजाये भीतर रंगोली


देश में अमन चेन से खेले सब होली

सबके हृदय से मिटाये, भेदभाव बोली


होलिका जलाकर, बने प्रह्लाद हमजोली

भक्ति से तो आग भी बनती है, हिमगोली


देश की प्रगति, एकता के बने हमजोली

आओ मिल जुलकर प्रेम से खेले होली


रंगों से लगती है, सूरत यह कितनी भोली

आओ खेले, खिलाये एक-दूजे को होली



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama