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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Drama Romance Classics

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Drama Romance Classics

होली की मस्ती

होली की मस्ती

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सुबह पहले पास आकर बैठ जाना तेरा

हाथों में ले कर वह हाथ दबाना तेरा

कहना प्यार से उठ जाओ जान,

वह जान कहना तेरा


आज रंगों का दिन है

मुझे भी रंग लगाओ जान,

वह लड़क पन्ना तेरा

सरारत सुझी मुझे भी खुब


बाँहों में तुम को दबा लिया

प्लीज जाने दो जान कहना तेरा

कुछ सुन नही रहा था मैं और

तुम को बिस्तर में गिरा लिया,


बहुत काम है जान कहना तेरा

मन नहीं पर माने मेरा,

तेरे अधरों पर वह प्रेम चुंबन मेरा

और मेरी बाँहों में लिपट जाना तेरा


फिर होने लगी रंगों की बरसात

कभी तुम मुझे लगा रही,

कभी मैं तुमको रंग लगा रहा

होली को बिना रंग के इतना


रंगीन बना देना तेरा

कितने ही दौर चलते रहे

एक बार और एक बार और दोनों

कहते रहे और प्यार से हां में सर हिलाना तेरा


दिन ढल कर शाम का हो जाना

फिर भी दोर नहीं रोकना कहना तेरा

रंग रंगीली होली को यादगार बना कर

होली हनीमून मनाना तेरा


शब्दों की अल्पता है बयान करने को प्यार

और भरोसा साथ में समर्पण तेरा

बन गया शिव दास अब मानेगा हर हुक्म तेरा।।


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