पिता
पिता
पिता है, तब तलक लगता आसमान है।
पिता बिना अधूरा लगता यह जहान है।।
जिनके पिता है, वो खुशनसीब इंसान है।
कर लो पितृ-सेवा, यह जिंदा भगवान है।।
जिन्हें रहता अपने पिता पर अभिमान है।
उन चेहरों पर रहती नित नई मुस्कान है।।
पिता से इस पत्थर से जीवन में जान है।
पिता घर की छत और, पिता आसमान है।।
मेरे पिता ही दुनिया में मेरा स्वाभिमान है।
मेरे पिता मेरे इस जीवन के अभिमान है।।
इस मुरझाये जीवन के वो ऐसे बागबान है।
खुद रह, भूखे-प्यासे देते हर सुख संतान है।।
पिता मंदिर की घण्टी, मस्जिद की अजान है।
इनकी कद्र करे, यही वाकई के भगवान है।।
