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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

बदल गया जिया शाख तेरी

बदल गया जिया शाख तेरी

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उजड़ जैइयै जब चमन तुम्हारो,

तबहिं याद अईयै दामन हमारो।


कहां लै चलैगो तू कश्ती हमारी,

आगाज़ है अबतौ हस्ती हमारी।


कुछ देर बैठ गया मुंडेर तेरी,

समझ गया क्या चाल तेरी।


अब और न कर तू लतीफी,

बदल गया जिया शाख तेरी। 


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