अन्तिम अभिलाषा
अन्तिम अभिलाषा
1 min
217
जीवन से नहीं कोई अभिलाषा,
जीवन सा नहीं कोई परिभाषा,
जीवन में सब संवेग भरे,
जीवंत नहीं कोई प्रत्याशा।
जीवन से नहीं कोई अभिलाषा।।
सुख दुख बस क्षण भंगुर है,
पाप पुण्य अंतस भर है,
प्रकृति नहीं लेती आत्मा की सुदी
शुद्ध नहीं कर्म मनका सा।
जीवन से नहीं कोई अभिलाषा।।
निशा दिवस की प्रतीक्षा में,
असफल जीव नित परीक्षा में,
कभी तो पार करे भव सागर,
आरम्भ से अंत तक अविनाशा।
जीवन से नहीं कोई अभिलाषा।।