एकात्म आवाज प्राण पुकार मुक्तिबोध एहसास एकात्म आवाज प्राण पुकार मुक्तिबोध एहसास
आरम्भ से अंत तक अविनाशा। जीवन से नहीं कोई अभिलाषा। आरम्भ से अंत तक अविनाशा। जीवन से नहीं कोई अभिलाषा।
मेरा कागज़ मेरी कलम के होंठ ताकता है तुम्हारे इंतज़ार में हर नज़्म अधूरी रह जाती है मेरा कागज़ मेरी कलम के होंठ ताकता है तुम्हारे इंतज़ार में हर नज़्म अधूरी रह जाती...