एक अंश
एक अंश
मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूगा।
अपना स्वार्थ कुछ दिन इसके खातिर कुर्बान कर दूंगा।
यह धरती ,वन, जन जीवन, संवार दूंगा कुछ स्नेह देकर।
आखिर इसने पनाह दिया, मैं धन्य हुआ जन्म लेकर।
मेरे अपनों की परिभाषा बदल सब से पहचान कर दूंगा।
अपना स्वार्थ कुछ दिन इसके खातिर कुर्बान कर दूंगा ।
पल पल निहार इनकी छवि सुधार करूंगा जो मैंने किया।
नदी पर्वत झरने झील, सबके संग जो अबतक जिया।।
अपने जीने के लिए इनका उपयोग किया जीवन भर।
इससे अगर कोई मुझसे आघात हुए हों जो इन पर ।।
उन भूलों का प्रायश्चि सुधार उनका ससम्मान कर करूंगा
मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूंगा।
