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Sundar lal Dadsena madhur

Abstract Tragedy Inspirational

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Sundar lal Dadsena madhur

Abstract Tragedy Inspirational

माँ

माँ

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ममता की मूरत,प्रेम का सागर है माँ।

सब कुछ धारण करे,ऐसा गागर है माँ।


घर घर में रोशन करे,नव सबेरा है माँ।

प्रेम से बसने वाली,घर का बसेरा है माँ।


प्रेम, त्याग, दया का, संगम त्रिवेणी है माँ।

पवित्रता का मंदिर,बुलंदियों की द्रोणी है माँ।


अटल में हिमालय, फूलों सी कोमल है माँ।

गीतकार का गीत, शायर की ग़ज़ल है माँ।


ममता की रेवड़ी बाँटती,आशीषों की बरसात है माँ।

कुदरत का नया करिश्मा,उत्तम जात है माँ।


उपवन का मदमस्त महकता,सुन्दर गुलाब है माँ।

राज सीने में छिपाने वाली,सीप शैलाब है माँ।


कवि की आत्मा की, गहराई नापने वाली कविता है माँ।

प्रेम के झरोखे में, झरने वाली सरिता है माँ।


रिश्तों की अनोखी बंधन, बांधने वाली लता है माँ।

प्रभु की अनोखी कृति, द्वितीय गीता है माँ।


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