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जब तुम मिलोगे

जब तुम मिलोगे

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पूछ लेना वो अधूरा छूटा सवाल,

उस रोती रैन मे जो पूछ ना पाए थे।

निकाल लेना अपनी दिल की जमी वो भड़ास,

जो उस रात से संभाले आ रहे थे।


मैं भी कुछ दिल की खिड़की खोल अश्कों को बहा दूंगी,

जब तुम मिलोगे

तुम मुझमे खो जाना, मैं तुममें समा लूंगी ।।


जब तुम मिलोगे

वो कानों की बालियाँ जो खरीदी थी, खत में लिखा था, पहना देना,

मैं भी जुल्फों को खुला रखूंगी,

उन्हें सवार लेना।


जब तुम मिलोगे

मैं घड़ी घर पर छोड़ आऊंगी,

खतों में जो बातें सिमट न पाई थी,

वो कहानियां तुम्हें सुनाउंगी।


तुम्हारे खतों के शब्दों की भीनी भीनी खुश्बू,

मुझे तुमसा लगता है।

जब तुम मिलोगे वो कलम साथ लाना

उसकी खुश्बू और तुम्हारी बाहों की छाँव में सिमट जाऊँगी।


जब तुम मिलोगे।।








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