" तापमान की मार से "
" तापमान की मार से "
तापमान की मार से,व्याकुल है हर जीव
पशु पक्षी भी हांफ रहे,झुलस रहे राजीव
झुलस रहे राजीव,रूप धरती का बिगड़ा
पड़ी समय की मार,सांस हलकों तक जकड़ा
सहन करों हालात,खिलेगा फिर आसमान
बने खूब बरसात,सहज होगा तापमान।
तापमान की मार से,व्याकुल है हर जीव
पशु पक्षी भी हांफ रहे,झुलस रहे राजीव
झुलस रहे राजीव,रूप धरती का बिगड़ा
पड़ी समय की मार,सांस हलकों तक जकड़ा
सहन करों हालात,खिलेगा फिर आसमान
बने खूब बरसात,सहज होगा तापमान।