अजेय
अजेय
हाँ, मेरी बात सुनो !
मैं बिकाऊ नहीं हूँ।
मेरे आदर्श-आचार-विचार सब
जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं,
न कि क्षणभंगुर मतवादों पर !
मैंनें अपने माता-पिता एवं गुरुजनों से
सादगीपूर्ण जीवनशैली एवं
सत्यनिष्ठा की सीख ली।
मैंने देखा है ईमानदारी में
कितना दम होता है !
मैंने कई बेईमानों को
वक्त की मार खाकर
मुँह के बल गिरते देखा
मैंने कई कंजूसों को
वक्त की हेराफेरी से
अपना सबकुछ लुटाते देखा !
मैंने कई ज़ालिमों को
ऊपरवाले के हाथों
सजा पाते देखा ;
मैंने कई पापियों को
इसी जहाँ में अपने
कर्मोँ का लेखाजोखा पढ़ते देखा !
मैंने कई रइसों को
मुफलिसी में जीते देखा!
ये बस वक्त की अदालत है,
जिसका फैसला होते ही
इंसान अपनी असली औकात पे
आ जाता है!
तो फिर ये कैसी माथापच्ची
जब हम सब अपनी ही
गलतियों के पुतले हैं ?