हरा सोचिए
हरा सोचिए
ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में
जरा सोचिए ...
गरम होती हुई धरती के लिए
हरा सोचिए ...
बढ़ते हुए प्रदूषण से निजात
पाने के लिए खरा सोचिए ..
बढ़ती जनसंख्या की जरूरत
को पूरा करने के लिए ..
हरी भरी वसुंधरा सोचिए ।
आज के पौधे कल बनेंगे पेड़
प्रकृति के श्रृंगार को निखारने के लिए ,
अपने सुंदर कर्मों से पूरित कला सोचिए।
पेड़ पौधों से नित बढ़ती है खुशहाली
ऐसी खुशहाली से चहूँ ओर बढ़ जाए हरियाली,
इस हरियाली की खुशियों से धरा हो जाएगी मतवाली ..
अतः प्रकृति के सुकुमार साथियों प्रकृति से करो प्रेम
और सारी मानव जाति का हमेशा भला सोचिए।
क्योंकि पेड़ पौधे निरन्तर करते हैं हम सब पर उपकार
फूल फल दवाई देते और देते हैं ये आहार
बिन पेड़ पौधे के धरती हो जाए सून
इन पौधों से ही होता धरा का सिंगार।