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Rekha Shukla

Abstract Action

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Rekha Shukla

Abstract Action

मगरूर

मगरूर

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ये उंचे पहाडों के मगरूर साये 

ये कहते उनको नजर तो मिलाये


फरिश्ते भी हैं इस जगह बेजुबां

हाय ये खामोशियां की तन्हाईयां


न परदा हैं कोई न हैं कोई चिलमन

कदम छोडते जा रहे हैं निशां


बनाली थी हमने तो जन्नत यहां 

हाय ये खामोशियां की तन्हाईयां।


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