12 मई विश्व नर्सिंग डे-( 33 )
12 मई विश्व नर्सिंग डे-( 33 )
निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाली
वह मूरत हो तुम,
प्यार सेवा कर्तव्य त्याग कि
वह मूरत हो तुम,
स्वयं कष्टों को सहन करके भी तुम,
दूसरों के दुखों को बांटती हो तुम,
रोगियों के रोगों के लाचारी में तुम,
अस्पताल की शैया पर
लेटे रोगी की तुम,
जब रोगी रोग से परेशान हो कर
हार जाता है सब,
तब तुम स्वयं की पीड़ा सहकर अपनी सब,
तब हारे रोगियों के जीवन में जगाती हो
आशा की किरण,
माँ-बहन और बेटी बनकर रोगियों की तुम,
जीवन ज्योति बनकर जिंदगियों को बचाती हो तुम,
कर्ज और फ़र्ज़ को निभाकर अपना तुम,
हर मरीज के मर्ज का करती हो इलाज तुम,
ना दिन ना रात ना कभी थक कर या हार कर तुम,
दर्द से कराहते हुए रोगियों की
बन जाती हो करुणा की देवी तुम,
कुछ दुराचारी करते हैं
जो बर्ताव बुरा तुम से,
दुष्ट-दुराचारियों के दुर्व्यवहार के कष्ट को भी तुम,
अपनी चुनौतियां समझकर
सहन कर जाती हो तुम,
नर्स बनना इतना आसान भी नहीं है,
निस्वार्थ सेवाभाव करती हो तुम
प्यार त्याग और समर्पण की भावना चाहिए,
इन सब गुणों को तुम अपना कर
सब में हो जाती घुल मिल तुम,
आज "विश्व नर्सिंग डे" पर नमन करता हूँ मैं तुम्हें,
जो सब कुछ त्याग कर नर्स बन जाती हो तुम !