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Kusum Joshi

Abstract

4  

Kusum Joshi

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न्याय करती भीड़

न्याय करती भीड़

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भीड़ ने जब ले लिया,

कानून अपने हाथ में,

न्याय करने चल पड़ी,

एक भीड़ उमड़ी साथ में,


क्यों ये हिंसा देखता,

अहिंसक बापू का जहां,

जहां प्रेम ही इतिहास है,

क्यों लहू ये गिरता यहां,


ये क्या हुआ ये क्यों हुआ,

क्या ये दबा आक्रोश है,

या देश के कानून से,

हो खिन्न उठता रोष है,


या कि ये इस देश में,

कोई चला षड्यंत्र है,

देश की एकता को तोड़ने का,

विध्वंसकारी तंत्र है,


जो भी है ये है नहीं,

पहचान मेरे देश की,

ये धरा पूजन की है,

ना है किसी विद्वेष की,


इस देश का इतिहास है कि,

कानून है सुदृढ़ यहाँ,

क्यों भीड़ को फिर हाथ में,

क़ानून लेना पड़ रहा,


विश्वास ना कोई रहा क्या,

भीड़ का अब न्याय में,

तभी तो न्याय करने चल पड़ी,

एक भीड़ उमड़ी साथ में।।



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