खुद पर भरोसा रखना
खुद पर भरोसा रखना
सत्संग-सत्पथ से तुम, कभी मत डगमगाना
खुद पर भरोसा रखना, न कभी घबराना।
जग ये अजीब सी ही है, एक पाठशाला,
परखने-सिखाने का, ढंग होता निराला।
खुला ग्रंथ जीवन है, हल और समस्याएं,
प्रभु रूप जग ये सारा, मत भूल जाएं।
प्रभु श्रीराम सम इसे, उपयोग में लाना,
खुद पर भरोसा रखना, न कभी घबराना।
अजब रिवाजों वाला ही, है इस सारे जग का रोग,
चलती को कहते हैं गाड़ी, सारी ही दुनिया के लोग।
भ्रम में रहते हैं आजीवन, समझ न पाते शत्रु-मित्र,
है हमको सीधा ही लगता, चक्षु-पटल का उलटा चित्र।
नृप गोदी तज ध्रुव बनना, सर्वोच्च लक्ष्य है तुमको पाना,
खुद पर भरोसा रखना, न कभी घबराना।
अतीत के दिन पलटे हुए पन्ने, वापस फिर न खुल पाएंगे,
हैं भविष्य जो खुले नहीं हैं, नियत समय पर खुल जाएंगे।
त्रुटियां कल की सुधर सकेंगी, उज्ज्वल होगा आगामी कल,
खुला पृष्ठ वर्तमान तुम्हारा, नीर-क्षीर विवेक करें प्रश्न को हल।
समस्याओं के हल सीख कृष्ण से, हरिश्चंद्र सम तुम बन जाना
खुद पर भरोसा रखना, न कभी घबराना
