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Atam prakash Kumar

Abstract

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Atam prakash Kumar

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नव दुर्गा मां

नव दुर्गा मां

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नवदुर्गा के ,माना गया ,होते हैं नौ रूप।

होते हैं नौ भोग भी, जैसे अलग स्वरूप।।१।।

शैलपुत्री को शुद्ध घी, का लगता है भोग।

जिसने यह पालन किया,रहता सदा निरोग२।। 

ब्रह्मचारिणी तो सदा, करती शक्कर भोग।

आयुष पाते हैं सदा, घर के सारे लोग।।३।।

चंद्रघंटा माता को, भोग लगाएँ खीर।    

खुश रखती फिर भक्ततको, हरतीसारीपीर४।।

कूष्मांडा करती सदा ,मालपुऐ का भोग।  

होए विकास बुद्धि का, शक्ति का संयोग।।५।।

केले स्कंदमाता को ,लगते हैं स्वादिष्ट।

तंदुरुस्ती बढ़ती सदा ,होता नहीं अनिष्ट।।६।।

कात्यायनी शहद पा, दे आकर्षण शक्ति। 

शक्ति पाकर भक्तों की,होय सार्थक भक्ति।७।। 

कालरात्रि को चाहिए, केवल गुड़ का भोग। 

संकट से औ"शोक से, मुक्त करे सब लोग।८।।

महागौरी तो भोग मे, नारियल मंगवाए।

निसंतान की कामना ,झट पूरी हो जाए।।९।।

सिद्धि रात्रि के लिए, होता तिल का भोग। 

मृत्यु भय से मुक्त तभी ,हो जातेसबलोग१०।।



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