उतर ज़ाऊँ
उतर ज़ाऊँ
उतर जाऊँ अगर तो क्या संभाल लेंगे
गहराई सोच की तो क्या मिसाल देंगे
हम तो जालिम नहीं जो हिसाब लेंगे
आपकी कसम है हम तो पनाह देंगे !
कशिश कभी कोई जान भी ले लेती है
कोशिश कभी कोई मान भी ले लेती है
आरजू अपनी ज़िन्दा रखकर जीते हैं सभी
ज़िन्दगी कभी कोई अंजाम भी ले लेती है !
अब तो जीना है की हम भी जी ही लेते हैं
संग रहकर लोग क्या तनहा भी रह लेते हैं
कोई मजबूर ही इनकी ताकीद क्यूँ ना करें
ये तो मालिक हैं हमारी उम्र भी ले लेते हैं !