रंगमंच के क़िरदार
रंगमंच के क़िरदार
रंगमंच के क़िरदार हम जहां अपना काम पुरी सिद्दत से करते हैं
फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि रंगमंच के क़िरदार असल ज़िंदगी में आते हैं
देखने के लिए शरीर एक है पर मुखौटे के पीछे हर कोई एक बादशाह है
जहां मर्ज़ी हो आकर अपना रंग किसी गिरगिट की तरह बदलते ही रहते हैं
किरदार का बदल जाना तो समझ आ ही जाता है वो उनका एक काम हैं
पर असल ज़िंदगी के मुखौटा पहना हर कोई अपना कभी नही बन सकता है
सलाम उन रंगमंच के किरदारोंको जो दूसरी की जिंदगी को हमेशा ऊंचा रखते हैं
पल साथ ही साथ चेहरे पर एक रंग और मन कोई और रंग इससे ज्यादा डर लगता है
आज कल इंसान भी किरदारों की तरह बदलते हुए कही ना कही नज़र आ ही जाते है
रंगमंच पर तो उनको अनोखी मिसाल मिलती हैं पर असल ज़िंदगी में लोग दूर होते हैं।